कोरोना का दवा की काम कर रही है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
कोरोना का प्राथमिक दवा की काम कर रही है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
जिस दवा को दुनिया का हर एक देश कर रही है जोकि कोरोना का प्राथमिक दवा की काम कर रही है वह है हाइड्रोसीलक्लोरोक्वीन इस दवा की आविष्कार किया है पश्चिम बंगाल की मशहूर साइंटिस्ट आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने ही अपनी संस्था बंगालकेमिकल्सएन्ड_फर्टिलाइजर के रसायनगार में किया था।
prafulla chandra ray |
यही दवा कोरोना वायरस की गेम चेंजर साबित हो सकती है
विश्व की बड़ी-बड़ी देश हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग भारत से कर रही है । जी हां आचार्य सर प्रफुल्ल चंद्र रॉय, CIE, FNI, FRASB, FIAS, FCS प्रसिद्ध रसायनविद, शिक्षक-प्रोफेसर, विज्ञान इतिहासकार, दानदाता न जाने क्या कुछ।
सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा,ज्ञानेंद्र नाथ मुखर्जी, ज्ञान चंद्र घोष जैसे विज्ञानविदों के गुरु, आचार्य। उन्होंने भारतीय रसायन के इतिहास पर 1902 में "A History of Hindu Chemistry from the Earliest Times to the Middle of Sixteenth Century" नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा जिसने इस देश में रसायन और विज्ञान के उत्थान और पतन को पहली बार लिपिबद्ध किया।
बंगालकेमिकल्सएन्ड_फर्टिलाइजर उल्लेखनीय है कि इस महान राष्ट्रीयकृत संस्था को आज निजीकरण के रास्ते धकेला जा रहा है
हमने उनके आविष्कार को आसानी से स्वीकार कर लिया है, लेकिन उनकी विचारधारा को आसानी से नहीं पचा सक रहे है। यह एक बार फिर साबित हो गया है, क्योंकि मुझे उनके बारे में एक उद्धरण मिला है जो नीचे दिया जा रहा है, अगर आप पढ़ेंगे तो आप समझ जाएंगे।
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प्रसिद्ध वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने एक बार कहा था,
"मैंने कक्षा में इतना कुछ पढ़ाया। मैंने छात्रों को सिखाया कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तब चंद्रग्रहण होता है। उन्होंने इसे पढ़ा, लिखा, परीक्षा में नंबर हासिल किए, अच्छे अंको से उत्तीर्ण हुए। लेकिन मजेदार बात यह है कि जब वास्तव में चंद्रमा पर ग्रहण की छाया पड़ी तो यही छात्र चंद्रमा को राहु ने निगल लिया गया कहते हुए ढोल, ताशे, घण्टे, घड़ियाल और शंख बजाते सड़क पर आ गए। हाय!! यह एक आश्चर्यजनक भारतवर्ष है।"
Pushan bhattacharya
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